ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा - The Indic Lyrics Database

ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफी | संगीत - रवी | फ़िल्म - पिया का घर | वर्ष - 1972

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ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा
इस रात की तकदीर सँवर जाए तो अच्छा
जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है
बाकी भी उसी तरह गुज़र जाए तो अच्छा
दुनिया के निगाहों में भला क्या है, बुरा क्या
ये बोझ अगर दिल से उतर जाए तो अच्छा
वैसे तो तुम ही ने मुझे बर्बाद किया है
इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा