ये वही गीत है जिसको मैंने धड़कन में बसाया है - The Indic Lyrics Database

ये वही गीत है जिसको मैंने धड़कन में बसाया है

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - काजल | वर्ष - 1965

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ये वही गीत है जिसको मैंने धड़कन में बसाया है
तेरे होठों से इसको चुराकर होठों पे सजाया है
मैंने ये गीत जब गुनगुनाया
सज गयी है ख़यालों की महफ़िल
प्यार के रंग आँखों में छाये
मुस्कुराई उजालोंकी महफ़िल
ये वो नग्मा है जो ज़िंदगी में रोशनी बन के आया है
मेरे दिल ने यही गीत गा कर
जब कभी तुझको आवाज़ दी है
फूल जुल्फों में अपनी सजाकर
तू मेरे सामने आ गयी है
तुझको अक्सर मेरी बेखुदी ने सीने से लगाया है