ये शमा तो जली रोशनी के लिये - The Indic Lyrics Database

ये शमा तो जली रोशनी के लिये

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - मोहम्मद रफी | संगीत - कुलदीप सिंह | फ़िल्म - साथ साथ | वर्ष - 1982

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ये शमा तो जली रोशनी के लिए
इस शमा से कहीं आग लग जाए तो ये शमा क्या करे ?
ये हवा तो चली सांस ले हर कोई
घर किसी का उजड़ जाए आँधी में तो ये हवा क्या करे ?
चलके पूरब से ठंडी हवा आ गई
उठके परबत से काली घटा छा गई
ये घटा तो उठी प्यास सब की बुझे
आशियाँ पे किसी के गिरी बिजलियाँ तो ये घटा क्या करे ?
पूछता हूँ मैं सब से कोई दे जव़ाब
नाखुदा की भला क्या खता है जनाब
नाखुदा लेके साहिल के जानिब चला
डूब जाए सफीना जो मझधार में तो नाखुदा क्या करे ?
वो जो उलझन सी तेरे खयालों में है
वो इशारा भी मेरे सवालों में है
ये निग़ाह तो मिली देखने के लिए
पर कहीं ये नजर धोखा खा जाए तो, तो ये निग़ाह क्या करे ?