दिल की ये आरजू थी कोई दिलरुबा मिले - The Indic Lyrics Database

दिल की ये आरजू थी कोई दिलरुबा मिले

गीतकार - हसन कमाली | गायक - सलमा आगा - महेंद्र कपूर | संगीत - रवि | फ़िल्म - निकाहः | वर्ष - 1982

View in Roman

दिल की ये आरजू थी कोई दिलरुबा मिले
लो बन गया नसीब के तुम हमसे आ मिले
देखे हमें नसीब से अब अपने क्या मिले
अब तक तो जो भी दोस्त मिले बेवफा मिले
आँखों को एक इशारे की ज़हमत तो दीजिये
कदमों में दिल बिछा दूँ इजाज़त तो दीजिये
गम को गले लगा लूँ जो ग़म आपका मिले
हमने उदासियों में गुजारी है ज़िन्दगी
लगता है डर फरेब-ए-वफ़ा से कभी कभी
ऐसा न हो के जख्म कोई फिर नया मिले
कल तुम जुदा हुये थे जहाँ साथ छोड़ कर
हम आज तक खड़े हैं उसी दिल के मोड़ पर
हमको इस इंतजार का कुछ तो सिला मिले