तारोन में सज के अपाने सूरज से - The Indic Lyrics Database

तारोन में सज के अपाने सूरज से

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - सहगान, मुकेश | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली | वर्ष - 1971

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तारों में सजके अपने सूरज से
देखो धरती चली मिलने
झनकी पायल मच गई हलचल
अम्बर सारा लगा हिलने(है घटाओं का, दो नैन में काजल
धूप का मुख पे, डाले सुनहरा सा आँचल-२)
हो ... यूं लहराई, ली अंगड़ाई
लगी जैसे धनक खिलनेतारों में सजके, अपने सूरज से ...(आग सी लपके, जलती हुई राहें
जी को बहलाएं, बेचैन तूफ़ां की आंहें-२)
हो ... ना डरेगी, ना रुकेगी
देखें क्या हो कहा दिल नेतारों में सजके, अपने सूरज से ...