रोऊँ मैं सागर के किनारे - The Indic Lyrics Database

रोऊँ मैं सागर के किनारे

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - सी एच आत्मा | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - नगीना | वर्ष - 1951

View in Roman

क्या जानें ये चंचल लहरें, मैं हूँ आग छुपाए
मैं भी इतना डूब चुका हूँ, क्या तेरी गहराई
काहे होड़ लगाए मो से, काहे होड़ लगाए
रोऊँ मैं सागर के किनारे
तुझ में डूबे चाँद मगर इक चाँद ने मुझे डुबाया
मेरा सब कुछ लूट के ले गई, चाँदनी रात की माया
अर्मानों की चितह सजाकर मैंने आग लगाई
अब क्या आग बुझाए मेरी, अब क्या आग बुझाए
रोऊँ मैं सागर के किनारे$