क्यूं प्याला छलाकता हैं - The Indic Lyrics Database

क्यूं प्याला छलाकता हैं

गीतकार - नरेंद्र शर्मा | गायक - मन्ना दे | संगीत - रघुनाथ सेठ | फ़िल्म - फिर भी | वर्ष - 1971

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क्यूँ प्याला छलकता है
क्यूँ दीपक जलता है
दोनों के मन में कहीं अनहोनी विकलता है
क्यूँ प्याला छलकता हैपत्थर में फूल खिला
दिल को एक ख़्वाब मिला
क्यूँ टूट गए दोनों
इसका ना जवाब मिला
दिल नींद से उठ उठ कर
क्यूँ आँखें मलता है..हैं राख की रेखाएँ
लिखती है चिंगारी
हैं कहते मौत जिसे
जीने की तैयारी
जीवन फिर भी जीवन
जीने को मचलता है..