कुशियां दा मींह वस्सिया - The Indic Lyrics Database

कुशियां दा मींह वस्सिया

गीतकार - परंपरागत | गायक - ना | संगीत - NA | फ़िल्म - गैर-फिल्मी | वर्ष - 1940

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क्या जाने अमीरी जो ग़रीबी का मज़ा है

क्या जाने अमीरी जो ग़रीबी का मज़ा है

दौलत उन्हें दी है तो हमें सब्र दिया है

हम सोने की चाँदि की तमन्ना नहीं करते

दुख दर्द में भी हँस्ते हैं शिकवा नहीं करते

क़िसमत ने ग़रीबी दी दिल तो बड़ा है

क्या जाने अमीरी

फूलों के बिछौने पे सोती है अमीरी

काँटों के बिस्तर पे भी हँस्ती है फ़क़ीरी

वो काँटा भी है फूल जो मालिक ने दिया है

क्या जाने अमीरी

है जेब अगर गर्म तो कुछ खा जा खिला जा

दौलत से न कर पयार इसे यूँ ही लुटा जा

नादान ये पैसा भी कभी साथ गया है

क्या जाने अमीरी