दिल की गिरह खोल दो - The Indic Lyrics Database

दिल की गिरह खोल दो

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता - मन्ना डे | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - रात और दिन | वर्ष - 1967

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दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो, कोई गीत गाओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
मिलने दो अब दिलसे दिल को
मिटने दो मजबूरीयों को
शीशे में अपने डूबो दो
सब फासलों दूरियों को
आँखों में मैं मुस्कराऊं तुम्हारें जो तुम मुस्कुराओ
हम तुम ना हम तुम रहे अब
कुछ और ही हो गए अब
सपनों के झिलमिल नगर में
जाने कहाँ खो गए अब
हमराह पूछें किसीसे, ना तुम अपनी मंज़िल बताओ
कल हमसे पूछे ना कोई
क्या हो गया था तुम्हें कल
मुड़कर नहीं देखते हम
दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कही रह गए, अब उन्हें मत बुलाओ