दो रोज़ में वो प्यार का आलम उजड़ गया - The Indic Lyrics Database

दो रोज़ में वो प्यार का आलम उजड़ गया

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - मुकेश | संगीत - कानू घोष | फ़िल्म - प्यार की राहें | वर्ष - 1959

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दो रोज़ में वो प्यार का आलम उजड़ गया
बरबाद करने आया था बरबाद कर गया
दो रोज़ में

बस इतनी सी है दास्तां बचपन के प्यार की-2
दो फूल खिलते खिलते ही गुलशन उजड़ गया
गुलशन उजड़ गया
दो रोज़ में ...

लेके सहारा याद का कब तक कोई जिये-2
ऐ मौत आ के ज़िन्दगी से दिल ही भर गया
दिल ही भर गया
दो रोज़ में ...

सीने मे जब किसीके धड़कता था दिल मेरा-2
वो दिन कहाँ गए वो ज़माना किधर गया
ज़माना किधर गया
दो रोज़ में ...$