ठुकरा रही है दुनिया हम हैं की सो रहे हैं - The Indic Lyrics Database

ठुकरा रही है दुनिया हम हैं की सो रहे हैं

गीतकार - केदार शर्मा | गायक - सहगल | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - भंवरा/हरजाई | वर्ष - 1944

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तुझे ओ बेवफ़ा हम ज़िंदगी का आसरा समझे

तुझे ओ बेवफ़ा हम ज़िंदगी का आसरा समझे

बडे नादान थे हम हाये समझे भी तो क्या समझे

मुहब्बत में हमें तक़दीर ने धोके दिये क्या क्या

धोके दिये क्या क्या

जो दिल का दर्द था उस दर्द को हम दिल की दवा समझे

बडे नादान थे हम हाये समझे भी तो क्या समझे

हमारी बेबसी ये कह रही है रो रो के

डुबोया उसने कश्ती को जिसे हम नाखुदा समझे

किधर जाये के इस दुनिया में कोई भी नहीं अपना

आऽआऽऽआ

उसी ने बेवफ़ाई की जिसे जानएवफ़ा समझे