दो घड़ी वो जो पास आ बैठे - The Indic Lyrics Database

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - रफ़ी, आशा | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - गेटवे ऑफ इंडिया | वर्ष - 1957

View in Roman

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम ज़माने से दूर जा बैठे

आशा: दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम ज़माने से दूर जा बैठे

रफ़ी: (भूल की उनका हमनशीं हो के
रोयेंगे दिल को उम्र भर खो के)-2
हाय्! क्या चीज़ थी गँवा बैठे

आशा: (दिलको एक दिन ज़रुर जाना था
वही पहुँचा जहां ठिकाना था )-2
दिल वही दिल जो दिल में जा बैठे

रफ़ी: (एक दिल ही था ग़मगुसार अपना
मेहरबां, खास राज़दार अपना )-2
गैर का क्यों इसे बना बैठे

आशा: (गैर भी तो कोई हसीं होगा
दिल यूँ ही दे दिया नहीं होगा )-2
देख कर कुछ तो दिल लगा बैठे

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम जमाने से दूर जा बैठे $