ठोकरें खाईं मोहब्बत में परेशानी हुई - The Indic Lyrics Database

ठोकरें खाईं मोहब्बत में परेशानी हुई

गीतकार - महरुल कादरी | गायक - NA | संगीत - लाल मोहम्मद, पैगंकर | फ़िल्म - मिट्टी | वर्ष - 1947

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तीर पे तीर खाये जा

तीर पे तीर खाये जा

ज़ुल्मओसितम उठाये जा

ऐ मेरे बेक़रार दिल

गीत वफ़ा के गाये जा

ख़ुशी ग़मों के अन्धेरे को जगमगाती है

ख़िज़ाँ के बाद हमेशा बहार आती है

प्यार के दिन भी आयेंगे

हिज़्र के दिन बिताये जा

तीर पे तीर खाये जा

ज़ुल्मओसितम उठाये जा

ऐ मेरे बेक़रार दिल

गीत वफ़ा के गाये जा

न छोड़ सब्र का दामन कोई ये कह न सके

के चार दिन भी मोहब्बत में रंज सह न सके

झेल ख़ुशी से हर सितम

लब पे हँसी बसाये जा

तीर पे तीर खाये जा

ज़ुल्मओसितम उठाये जा

ऐ मेरे बेक़रार दिल

गीत वफ़ा के गाये जा