जब दो प्यार मिलते हैं - The Indic Lyrics Database

जब दो प्यार मिलते हैं

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - सवेरेवाली गाड़ी | वर्ष - 1985

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हाँ
जब दो प्यार मिलते हैं( जब दो प्यार मिलते हैं
तन में फूल खिलते हैं
मन के मंदिर में जल जाते हैं दिये
ये ज़मीं आहा आहा आहा
आसमाँ आहा आहा आहा
थम जाते हैं दो पल के लिये ) -२रोके हमको ज़माना, चाहे जिस मोड़ पे
अरे रोके हमको ज़माना, चाहे जिस मोड़ पे
हर युग में हम चले हैं ज़ंजीरें तोड़ के
जब हो रैन अंधियारी या तूफ़ान हो भारी
फिर हम दीवानों का मिलना देखियेये ज़मीं आहा आहा आहा
आसमाँ आहा आहा आहा
थम जाते हैं दो पल के लियेहाय दिल की चाहत के आगे कैसा छोटा बड़ा
दिल की चाहत के आगे कैसा छोटा बड़ा
ऊँचा हो कर मिला जो उसको झुकना पड़ा
जिसकी प्रीत होती है उसकी जीत होती है
हम क्या कर सकते हैं ये ना पूछियेये ज़मीं आहा आहा आहा
आसमाँ आहा आहा आहा
थम जाते हैं दो पल के लियेअजी सुन लो ऐ सुनने वालो आती है क्या सदा
सुन लो ऐ सुनने वालो आती है क्या सदा
देख लो चलने लगी है जग में ये कैसी हवा
रुत करवट बदलती है हर दीवार हिलती है
दीवारों से बाहर चल कर देखियेये ज़मीं आहा आहा आहा
आसमाँ आहा आहा आहा
थम जाते हैं दो पल के लियेजब दो प्यार मिलते हैं
तन में फूल खिलते हैं
मन के मंदिर में जल जाते हैं दिये
ये ज़मीं आहा आहा आहा
आसमाँ आहा आहा आहा
थम जाते हैं दो पल के लिये