माया मछिंद्रा मुझ पे मंतर मत करण: - The Indic Lyrics Database

माया मछिंद्रा मुझ पे मंतर मत करण:

गीतकार - पी के मिश्रा | गायक - एस पी बालासुब्रमण्यम, स्वर्णलता | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - हिंदुस्तानी | वर्ष - 1996

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माया मछिंद्रा मुझ पे मन्तर मत करनाजादू मन्तर से मुझ को पागल मत करनाप्यासा दिल हो तो पगल हो जये मिस्तरी दिल का शास्तरीबाँहों में तेरी बीतेगी मेरी रातरी सारी रातरीफुल्वारी-फुल्वारी दिव्यधाम की फुल्वारीआऊँगा सब कुछ दे दूँगातू भी है मर्दाना मैं भी हूँ मस्तानीप्यार की बजा ले ढोलकीहोंठों से छू ले तू बाँहों में भर ले तू सुन्दरी बजा ले बाँसुरीमाया मछिंद्रा मन्तर पड़ने तू आयाजादू मन्तर से पागल करने तू आयातूने क्या कर दिया ओ मेरे जान-ए-जाँ धड़कन में तू ही तू है बालमजबसे प्यार हो गया ओ मेरी दिलरुबा ख़ाबों में तू ही तू है जानमबाँतने से शहद कम होगा तो क्या चूमने से शक्कर रोग आये तो क्याहर दिन यूँ ही मिलना है ना धिन धिन्ना करना हैसुन्दरी बजा ले बाँसुरीवक़्त प्यार का है सजना मीनमेख तू मत करना छोकरा बजा ले खंजरामाया मछिंद्रा मन्तर पड़ने मैं आयाजादू मन्तर से मुझ को पागल मत करनान जानूँ मेरा नाम ना जानूँ मेरा गाँवपूछूँ मैं तुझको मेरे राजाभषा भी भूला मैं जीवन भी भूलामैं भूला हूँ सब कुछ मेरी रानीप्यार में सवाल करके फ़ायदा नहींकामदेव देर तक रुकता नहींबर्फ़ की तरह पिघलेंगे पिघल के कविता लिख देंगे सोहिनी मेरी मोहिनीदोनों मिल के दुनिया का नक़्शा हम बन जायेंगे जालम ओ मेरे बालममाया मछिंद्रा मुझ पे मन्तर मत करना
जादू मन्तर से मुझ को पागल मत करना