दो चमकती आँखों में कल ख़्वाब सुनहरा था जितना - The Indic Lyrics Database

दो चमकती आँखों में कल ख़्वाब सुनहरा था जितना

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - गीता | संगीत - मुकुल रॉय | फ़िल्म - डिटेक्टिव | वर्ष - 1958

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दो चमकती आँखों में कल ख़्वाब सुनहरा था जितना
हाय, ज़िंदगी तेरी राहों में आज अँधेरा है उतना
दो चमकती आँखों में ...

हम ने सोचा था जीवन में फूल, चाँद और तारे हैं
क्या ख़बर थी साथ में इनके काँटे और अंगारे हैं
हम पे क़िस्मत हँस रही है,
हम पे क़िस्मत हँस रही है कल हँसे थे हम जितना
दो चमकती आँखों में ...

इतने आँसू इतनी आहें दिल के दामन पे लेकर
जाने कब तक चलना होगा सूनी सूनी राहों पर
ऐ मुक़द्दर ये तो बता दे,
ऐ मुक़द्दर ये तो बता दे मुझको सहना है कितना
दो चमकती आँखों में ...$