दो बूँदे सावन की हाय दो बूँदे सावन की - The Indic Lyrics Database

दो बूँदे सावन की हाय दो बूँदे सावन की

गीतकार - साहिर | गायक - आशा: | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - फ़िर सुबह होगी | वर्ष - 1958

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दो बूँदे सावन की हाय दो बूँदे सावन की
एक सागर की सीप में टपके और मोती बन जाये
दूजी गन्दे जल में गिरकर अपन आप गवाये
किसको मुजरिम समझे कोई किसको दोष लगाये
दो बूँदे सावन की

दो कलियाँ गुलशन की हाय दो कलियाँ गुलशन की
एक सेहरे के बीच गुंधे और मन ही मन इतराये
एक अर्थी के भेंट चढ़े और धूलि मे मिल जाये
किसको मुजरिम समझे कोई किसको दोष लगाये-2
दो कलियाँ सावन की

दो सखियाँ बचपन की हाय दो सखियाँ बचपन की
एक सिंहासन पर बैठे और रूपमती कहलाये
दूजी अपने रूप के कारण गलियों मे बिक जाये
किसको मुजरिम समझे कोई किसको दोष लगाये
दो सखियाँ बचपन की$