निगाहें भी मिला करती है दिल भी दिल से मिलता है - The Indic Lyrics Database

निगाहें भी मिला करती है दिल भी दिल से मिलता है

गीतकार - मजरूह | गायक - मुकेश | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - अंदाज़ | वर्ष - 1949

View in Roman

निरास में आस प्रभु मेरा

निरास में आस प्रभु मेरा

दुःख के दिन से क्यों डर जाऊँ

हँसते हँसते क्यों न बिताऊँ

कब तक मेरी दुनिया को

बरबाद करेगा अंधेरा

निरास में आस प्रभु मेरा

कभी तो आँसू हँसी बनेंगे

कभी तो अपने दिन भी फिरेंगे

कभी तो मेरी द.र्द भरी

रातों का होगा सवेरा

निरास में आस प्रभु मेरा

ये वोह आस है जो नहीं टूटे

इस का सहारा कभी न छूटे

डूबनेवालों का भी इस ने

पार किया है बेड़ा

निरास में आस प्रभु मेरा