दिल का मिज़ाज इश्क़ियां - The Indic Lyrics Database

दिल का मिज़ाज इश्क़ियां

गीतकार - गुलजार | गायक - राहत फ़तेह अली खान | संगीत - विशाल भारद्वाज | फ़िल्म - डेढ़ इश्किया | वर्ष - 2013

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रूक रूक के कहते हैं
झुक झुक के रहते हैं
दिल का मिज़ाज इश्क़ियां
तनहा हैं लोगों में
लोगों में तनहाई
दिल का मिज़ाज इश्क़ियां
चोटें भी खाएं और गुनगुनाए
ऐसा ही था ये ऐसा ही है ये
मस्ती में रहता है मस्ताना सौदाई
दिल का मिज़ाज इश्क़ियां
शर्मिला शर्मिला पर्दे में रहता है
दर्दों के झोकें भी चुपके से सहता है
निकलता नहीं गली से सभी
निकल जाए तो दिल भटक जाता है
अरे बच्चा है आख़िर बहक जाता है
ख़्वाबों में रहता है बचपन से हरजाई
दिल का मिज़ाज इश्क़ियां
गुस्से में बल खाना
गैरों से जल जाना
मुश्किल में आए तो
वादों से टल जाना
उलझने की इसको यूँ आदत नहीं
मगर बेवफ़ाई शराफ़त नहीं
ये जज़्बाती होके छलक जाता है
इश्क़ में होती है थोड़ी सी गरमाई
दिल का मिज़ाज इश्क़ियां