मैं धुंधता हुन जिनाको रातों को कायालों में - The Indic Lyrics Database

मैं धुंधता हुन जिनाको रातों को कायालों में

गीतकार - साजन देहलाविक | गायक - मुकेश | संगीत - शामजी घनशामजी | फ़िल्म - ठोकर | वर्ष - 1974

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मैं ढूँढता हूँ जिनको रातों को खयालों में
वो मुझको मिल सके न सुबह के उजाले मेंसुहानी प्यार की बातें, मेरे दिलदार की बातें
कभी इक़रार की बातें, कभी इनकार की बातें
एक दर्द सा छुपा है, दिल के हसीं छालों में
मैं ढूँढता हूँ...जो यूँ बरबाद होते हैं, वो कब आबाद होते हैं
दिल-ए-नाशाद होते हैं, वो एक फ़रियाद होते हैं
उलझा हुआ हूँ कबसे, ग़म के अजीब जालों में
मैं ढूँढता हूँ...