केतकी गुलाब जूही चम्पकबन फूले - The Indic Lyrics Database

केतकी गुलाब जूही चम्पकबन फूले

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - मन्ना डे, भीमसेन जोशी | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - बसंत बहार | वर्ष - 1956

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केतकी गुलाब जूही चम्पकबन फूले
रितु बसन्त अपनो कन्त, गोदी गरवा लगाय
झुलना में बैठ आज पी के संग झूले
केतकी गुलाब जूही चम्पकबन फूले
गल-गल कूँज-कूँज, गुन-गुन भँवरों की गूँज
राग-रंग अंग-अंग छेड़त रसिया अनंग
कूयल की पंचम सुन दुनिया दुख भूले, भूले, भूले
केतकी गुलाब जूही चम्पकबन फूले
केतकी गुलाब जूही
केतकी गुलाब जूही चम्पकबन फूले
केतकी गुलाब जूही चम्पकबन फूले
रितु बसन्त अपनो कन्त, गोदी गरवा लगाय
झुलना में बैठ आज पी के संग झूले
पी के संग झूले
केतकी गुलाब जूही चम्पकबन फूले
मधुर-मधुर थोरी-थोरी, मीठी बतियों से गोरी
मधुर-मधुर थोरी-थोरी
मधुर-मधुर थोरी-थोरी, मीठी बतियों से गोरी
चित चुराये हँसत जाय
चोरी कर सिर झुकाये
सीश झुकाये चंचल लट
गालन को छू ले
केतकी गुलाब जूही चम्पकबन फूले
केतकी गुलाब जूही
केतकी गुलाब जूही
केतकी गुलाब जूही
केतकी
केतकी
केतकी